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एक लेखक

छोटी छोटी सी बाते
छोटी छोटी सी बाते
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“मेरी ये कविता हर लेखक को समर्पित है”

एक लेखक

वास्तविकता की धरातल पर जो चलता हो,
अपनी कल्पनाओ को सत्यता की चादर ओढाता हो,
धर्म जात से भी ऊपर,
स्वतंत्र,
स्वाभिमानी,
शब्दों की मर्यादाओ का परखी,
उंच-नीच से परे,
ज्वलंत ह्रदय वाला,
अकंछाओ के पुल पर बैठने वाला,
द्वेष से अनभिग्य,
मातृत्व से पूजित,
विवशता को,
कष्ट को,
अनादर को,
वचनों से उलट देने वाला,
सादे कागज पर कलम को साथी बनाने वाला,
समाज को आइना दिखने वाला,
एक लेखक ही होता है,
एक लेखक ही होता है।

तरकश मे जिसके शब्द रूपी तीर हो,
अनेक होकर भी दुनिया का अकेला वीर हो,
शत्रुता विरोधी,
ज्ञानता से ऊपर,
उदु प्रेमी,
सात्विक,
गहरे ह्रदय वाला,
कटीली चोट करने वाला,
आँखों मे तेज़ हो जिसके,
हर पहलु को समझने वाला,
कर्मठता मे स्नातकोत्तर हो जिसका,
दही से दूध और
शरबत से चीनी निकलने वाला,
असंभव शब्द से परे,
साहित्य का पुजारी,
प्रेम की माला जपने वाला,
सार्थकता के मंदिर मे बैठने वाला,
एक लेखक ही होता है,
एक लेखक ही होता है।

अर्श-फर्श तक जिसकी नजरे हो,
एतिकाफ मे जिसकी जिज्ञासा हो,
जन्नत से ऊपर,
विनम्र,
व्यावहारिक,
हर गुणो से भरा रहने वाला,
रहस्य के समुद्र मे सोने वाला
अदृश्य,
अलंकारी,
संतुष्टि का प्रसाद चखने वाला,
उपहास पर,
कटु वचनों पर,
कुफ्र पर,
मुस्कुराने वाला,
हर छेत्र का परखी,
कला विज्ञानं की आत्मा से बना,
एक लेखक ही होता है,
एक लेखक ही होता है।

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