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कही मै निर्वस्त्र तो नहीं

छोटी छोटी सी बाते
छोटी छोटी सी बाते
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सबकी नजरे मुझे घूरती है,

इतने लोगो के बिच भी मै  अकेली हु,

वो मेरे शरीर  का आकलन करते है,

कही अन्दर चले जाना चाहते है,

बिना वस्त्र उतारे मेरा रोज बलात्कार करते है,

मै  किस रश्ते जाऊ,

मै  किस दिशा  जाऊ,

कोई मुझे बताये,

मै  किस शहर जाऊ,

जहाँ ये नजरे मुझे घूरती न हो, 

कोई मुझे बताये

क्या ये समाज मेरा नहीं?

क्या ये लोग मेरे  नहीं ?

या मेरे पास जो है,

उनकी माताओ या बहनों के पास नहीं,

क्या वो अपनी माँ बहन के शरीर   को ताड़ते है?

तो हमें क्यों?

मै  तो कपडे भी तंग नहीं पहनती,

तो ये मुझे भूख की नजरो से क्यों देखते है?

अब मुझे ऐसा ही लगने लगा है,

की भरे शहर मे, 

कही मै  निर्वस्त्र तो नहीं।

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