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आज हर जगह राहुल गाँधी और नरेन्द्र मोदी को लेकर कशमकश चल रही है कही तर्क-वितर्क भी चल रहे है. शायद हमारी जनता ने भी मान लिया है, की उन्हें इन्ही दोनों मे से किसी एक को चुनना है पर कही ये पुरष प्रधान समाज की फिर विजय तो नहीं. आज देश मे महिलाओ की स्थिती किसी से छुपी नहीं है, फिर हम किसी महिला पर विस्वाश क्यों नहीं दिखा रहे. एक महिला ही उत्तम प्रबंधन का समावेश करती है वो महिलाओ की स्थिती का सही विमोचन कर सकती है और वैसे भी हमारे देश का इतिहाश गवाह है की देश के १३ प्रधानमत्री मे सिर्फ एक महिला प्रधान मंत्री हुई और वो थी इंदिरा गाँधी जो दो बार प्रधनमंत्री बनी. अब समय बदल गया है अब हमें महिलाओ पर विस्वाश दिखाना होगा जैसे वो घर का प्रबंधन करती है, वैसे ही वो देश को एक कुटुंब के धागे मे पिरो सकती है. मै किसी पार्टी के पछ या विपछ मे नहीं बोल रहा बस एक महिला प्रधनमंत्री के लिए समर्थन दे रहा हु , और उसमे एक नाम सुषमा स्वराज का जरुर होगा वो बेबाक चरित्र का परिचय देती है उन्हें सभी सुनना पसंद करते है. मै चाहता हु की प्रधानमंत्री वो हो जो बेबाक बोले जिसे जनता सुनना चाहे .न की वो जो खामोसी को अपना हथियार बनाये कहे कुछ न बस चुप्पी से प्रेम जताए. मै व्यक्तिगत तोर पर ऐसे प्रधनमंत्री की मे उपेछा ही करूँगा इतना बड़ा पद और वही खामोश हो तो जनता ही बोलेगी न.जब घर मे बच्चा कोई गलती करता है तो पिता एक बात कहता है आइन्दा ऐसी गलती मत करना नहीं अंजाम सही नहीं होगा. इसपर बच्चा डर जाता है और वो गलती नहीं करता है, वैसे भी प्रधानमंत्री देश का पिता है वो भी सख्ती से देश सुधार सकता है पर वो कुछ बोले तब न.
पर प्रश्न वही है की महिला प्रधनमंत्री क्यों नहीं?
मै ये ब्लॉग अधुरा छोड़ रहा हु आपकी प्रतिक्रिया से इसे पूरा करे.
yatindra pandey
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