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बलात्कार के बदले

छोटी छोटी सी बाते
छोटी छोटी सी बाते
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हमारी  और  आपकी, 

मोमबतिया  जल  कर  बुझ  जाएँगी, 

पर   उस  माँ  के  आंसू, 

उस  मासूम  बच्ची  का  दर्द  ख़त्म  होगा  क्या? 

कल  दामिनी  थी 

आज  ये  बच्ची  है,

कल   हमारी  बहन  और  आपकी  माँ  भी  होगी, 

घिन्न  आती  है  मुझे, 

 ऐसे  समाज  का  हिस्सा  होते  हुए, 

हे  इस्वर  ये  मुझे  कहा  भेजा  है, 

कोंन  हो   तुम  जानवरों, 

तुम  सब  मर  क्यों  नहीं  जाते, 

कितना  कस्ट  दोगे, 

कितनी  हैवानियत  मचाओगे, 

अरे  डरो  उस  खुद  से, 

माँ  के  कोख  से  ही  पैदा  हुए  है, 

पर  औरत  का  दर्द  नहीं  समझ  रहे, 

तुम्हे  तो  हिजड़ा  कहना  भी,

हिजड़ो  का  अपमान  करना  है,

मै  उदासीन  नहीं,

पर  अब  अनसन नहीं, 

आन्दोलन   नहीं,

अब  देश  क्रांतिकारियों  की  मांग  कर  रहा  है,

मत  जलाओ   मोमबतिया, 

मत  करो   आन्दोलन,

कर  दो  नग्न  उन  हैवानो  को,

और  कस्ट  का  जवाब   कस्ट  से  दो,

दर्द  के  लिए  दर्द,

अपमान  के  लिए  अपमान,

बहुत  सुन  ली  दर्द  की  दास्ताँ, 

अब  बलात्कार  के  बदले,

बलात्कार

बलात्कार के बदले

बलात्कार.

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