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हद्द है ये जवानी

छोटी छोटी सी बाते
छोटी छोटी सी बाते
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हद्द है ये जवानी
 
नींद नहीं आती रातो मे,
दरवाजा खोल के सोता हु,
हद्द है ये जवानी की दहलीज,
इश्क मे पड़ कर रोता हु,
शाम कट जाती है बागो मे,
इन्तजार उसी का करता हु,
उसकी गली मे हर रोज,
एक दीदार पाने को निकलता हु,
हद्द है ये जवानी की दहलीज,
इश्क मे पड़कर रोता हु,
मिल जाती है नजर कभी तो,
खुशियों मे मै झूमता हु,
ईस्वर को मै भूल चूका हु,
बस उसको ही पूजता हु,
एक दिन साथ बनेगा हमारा,
दरकार इसी की करता हु,
हद्द है ये जवानी की दहलीज,
इश्क मे पड़कर रोता हु।
इश्क मे पड़कर रोता हु।

यतीन्द्र पाण्डेय

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