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आजमेराजन्मदिनहै,
पर,
मैंख़ुशनहीं।
हैमेरी२८वीवर्षगाँठ,
परमैंख़ुशनहीं।
यतींद्र…..
भोझिलहैविचारोंसे,
असंतुलनसे,
द्रवितहैं,
कुरूपतासे,
जानकरभी,
अनभिज्ञहैं,
वास्तविकतासे।
मैंख़ुशक्यूँनहींहूँ ?
मैंख़ुशक्यूँनहींहूँ ?
एकहीप्रश्ननहींयें,
अनगिनतबातेंहै।
कुछकहनेको,
हरपल,
शब्द
मुझेतलाशतेंहै।
परअबमेरी
रूहभीमुझसेबातेंकरतीनहीं,
सहमीसहमीसी
इधरउधर
मँडरातीहै।
कहीकुछ,
व्याख्यितकरनेकोनाकहदूँ,
शायद,
इसीअसमंझसमें,
रहतीहै।
मेरीकहीवैचारिकबातोंको,
सुनकरभी,
अनदेखाकरतीहै।
अबतोमेरीरूहभी,
मुझेहँसतानहींदेखपातीहै।
आजमेराजन्मदिनहै,
परमैंख़ुशनहीं,
मेरीज़िंदगीकिसी,
रहस्यमयीकिताबसेकमनहीं।
टूटकरगिरताआसमानसेवोतारा ,
एकफ़रियादलाताहैं,
बहुतऊपरजानेपर,
गिरनेंकाडरहै,
येबातसमझताहै।
विषमताकीमेरीयेदुकान,
हरपलखुलीनहींरहतीं,
यतींद्रकीक़लमभी,
अबमाहौलऔरमाक़ूलहोने,
परहीनिकलती।
सत्यकापरिचायक,
क़लमकासिपाही,
ख़ुदकोकहनेवालामैं,
बसयहींसमझनहींपाया,
कीएकहीज़मीन,
एकहीआसमान,
इतनेटुकड़ोंमेंक्यूँ ?
एकरक्तएकहीरंग,
अनावश्यकबहतेंक्यूँ ?
जिसदिनयेगोपनीयता,
हरचरित्रसमझजाएगा,
उसदिन, वोपलयतींद्र, औरउसकी
रूहकीदूरियाँघटाँजायेगा।
परअभी
मेरारक्ततोकालाहीहैंशायद,
इसलिएमैंसंतुष्टनहीं,
आजमेराजन्मदिनहै,
पर
मैंख़ुशनहीं।
हैमेरी२८वीवर्षगाँठ,
परमैंख़ुशनहीं।
यतींद्र
आजमेराजन्मदिनहै।
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